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****पापा के नाम ख़त ****

मेरे विचार आपके सामने
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papa

आठ साल की थी तब मैं जब मेरे पिताजी का हार्ट –अटैक के कारण अल्पायु मे ही स्वर्गवास हो गया था। अक्सर पापा के लिए रोती मैं उन्हे ख़त लिखती थी । एक दिन माँ ने जब मेरे लिखे ख़त पढे तो वो मुझे कलेजे से चिपटा कर बहुत रोई। मैंने अपने हाथों से उनके आँसू पोंछे और उनसे मासूमियत से पूछा,” माँ मैं ये ख़त पापा के पास पहुंचाना चाहती हूँ । कैसे पहुंचाऊ ?” माँ ने कहा एक काम करो जो नदी हमारे खेत के किनारे से होकर बह रही है वो स्वर्ग तक जाती है, उसमे हर ख़त की कश्ती बनाकर बहा देना तुम्हारा ख़त तुम्हारे पापा के पास पहुँच जाएगा । और जब तक मैं खुद समझदार नहीं हो गई ।मैं अपने ख़त इसी तरह नदी मे प्रवाहित करती रही। उनमे जो अक्सर मज़मून होता था वो इस तरह का होता था । मुझे आज भी अपने पापा की याद इसी तरह आती है ॥ और अब माँ भी उनही के पास चली गई हैं । शायद मेरा दुख उन्हे बताने ………….

आठ साल की बच्ची के ख़त
उसके स्वर्गीय पापा के नाम

जिनको अक्सर प्रवाह देना
एक नदिया का काम …

“पापा तुम बिन लगे सब सूना
माँ रोती है दूना-दूना
मैं तो कुछ खा भी,लेती हूँ
माँ का तो अक्सर व्रत ही होना
एक-एक पैसे की खातिर माँ
करे काम दिन –दिन चौगुना
उषा के पापा ,सुमन के पापा
बस एक ही न पूनम के पापा
तुम कहाँ हो, लौट भी आओ अब
मैं ताकती राह बारहों-महिना
भईया मुझको मारे है
मामा न पुचकारे है
जब भी, माँ से भईया पैसे लेते
माँ के नैना चुप-चुप रोते
मुझसे अब देखा न जाता
रोटी ,कपड़ा कुछ न भाता
हमको भी संग ले जाओ ना
अब पापा तुम आ जाओ ना “

नन्ही सी गुड़िया रोज़ ही  बिलखी

अनगिन  सुबहो – शाम

आठ साल की बच्ची के ख़त
उसके स्वर्गीय पापा के नाम …. पूनम ‘मनु’

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