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पागल

मेरे विचार आपके सामने
मेरे विचार आपके सामने
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पागल
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पर……
संवेदनाओं से खाली मन
उसे देख, उसे छेड़
दिल में प्रफुलित हो
उसकी हंसी उड़ाते…..
जो रात के अंधेरे में
उसे ना पा पाते
वो प्रोढ़ ,वो बूढ़े
दिन के उजाले में
किशोर लड़को से
बचाने की कोशिश का ढोंग कर
उसके नाज़ुक हिस्सों पर
दबाव बनाते….
और उनकी वासना के लाल डोरे
तब ……..
किसी से भी न छुपते-छुपाते
इसी नशे में सब उसे
आगे बढ़ खूब सताते ….
और वो………….
उनसे छूटने की
नाकाम कोशिश में
खुद पर झल्लाती
इस बेबसी में रोकर
जब भी वो किसी पर
पत्थर उठाती….
तो वो ही भीड़
उसे पागल कह
उसके पीछे दौड़ लगाती
कहते सब पागल उसको
क्यूंकी
दो रोटी में
वो…..
उनकी प्यास बुझाकर
इस दुनिया की भीड़
बढ़ाती ……..पूनम ‘मनु’

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