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हे! पथिक

मेरे विचार आपके सामने
मेरे विचार आपके सामने
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ये चंद सवाल जिंदगी की राह में गुजरते हर राही से

हे पथिक

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हे पथिक !
तुम कैसे चले जा रहे हो
कहाँ से चले थे तुम
कहाँ जा रहे हो ?


हे पथिक !
क्या तुम खुशी से चले थे
ज़िंदगी की राह पर
जिधर तुम बढ़े जा रहे हो


हे पथिक !
तनिक ठहर भी जाओ
चलो ज़िंदगी से बहस करेंगे
ज़िंदगी से बहस किए बिना
क्या?
तुम लिए जा रहे हो


हे पथिक !
पानी से बह जाओ जो कभी
तो निशां पगडंडी से
अवश्य छोडना
कोई चला आएगा पीछे तुम्हारे
जहां तुम अकेले चले जा रहे हो


हे पथिक !
ये जो शूल से तुम्हारे
पाँव में चुभे हैं
ध्यान न धरो
आभूषण है ये
जो ज़िंदगी ने तुम्हें दिये
धीरे-धीरे बढ़े चलो
जिधर जा रहे हो


हे पथिक!
किस पथ के तुम थे राही
तुम औरों के लिए जिये
या सदा अपनी मर्ज़ी चाही
और अब किसके लिए
जिये जा रहे हो


हे पथिक !
तुम कहाँ जा रहे हो ……………… पूनम
राणा ‘मनु’

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