मेरे विचार आपके सामने
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क्यूंकी अपनी खुशियाँ
मैंने तुम्हें उपहार दी॥
दूर फ़लक का चाँद
तुम्हें सदा अच्छा लगा
मैं नहीं, तेरे लिए जबकि
मैंने ‘चूनर’ उतार दी ॥
तुम्हारा ही प्रेम शायद
मुझसे, सच्चा रहा होगा
मैंने की कोशिश सिर्फ और
तुम पे दुनिया निसार दी
तुम्हें चाहने की कोशिश में
मैंने जिंदगी,सारी गुज़ार दी॥…… पूनम राणा ‘मनु’
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