मेरे विचार आपके सामने
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“टूटा ख़्वाब “
बिखरे हुये ख़्वाबों को
आओ कोई रूप दे दूँ
सीली सी इस ज़िंदगी को
आओ थोड़ी धूप दे दूँ
दूर-दूर ही रहो
चलो कोई बात नहीं
दूर मैं नहीं तुमसे
इसका सबूत दे दूँ
टूटे सपनों की किरचियाँ
जो पलकों में
चुभती हैं आज तक
दिल पर लिखकर उनको
जज़्बों के हरूफ़ दे दूँ
मुस्कुराहट मे भी
जो दर्द लिए फिरते हो
इन्हे पलकों मे रखकर मैं
सुख की तुम्हें भभूत दे दूँ
देते जो साथ मेरा
मेरी इन पंक्तियों में
बिल्कुल न पूछती कि
छलनी से इस दिल को
सुकून का एक सूप दे दूँ
पूनम राणा “मनु”
सूप-अनाज़ को फटका मार कर साफ करने वाला छाज
भभूत -वो राख़ जो दुख दूर करने के लिए अक्सर साधु -संत लोगो को देते हैं ।
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